सोमवार, 2 अप्रैल 2018

Tally 13

Final Account बनाने के उद्देश्य क्या है ?

एक दी गई अवधि में व्यावसायिक फर्म द्वारा अर्जित लाभ या हानि का निर्धारण करना एवं एक निश्चित समय बिंदु पर इसकी वित्तीय स्थिति का निर्धारण करना Final Account का प्रथम उद्देश्य माना गया है।
संक्षेप में Final Account के निम्नलिखित उद्देश्य है :
  • संस्था के आर्थिक संसाधनों एवं दायित्वों के बारे में वित्तीय आंकड़े उपलब्ध कराना तथा उनका वित्तीय स्थिति पर प्रभाव दर्शाना।
  • संस्था के परिचालन लाभ तथा शुद्ध लाभ के आँकड़े उपलब्ध कराना तथा उनका वित्तीय स्थिति पर प्रभाव दर्शाना।
  • वित्तीय विवरणों में हित रखने वाले पक्षकारों को पर्याप्त व विश्वसनीय सूचनाएं प्रदान करना।
  • व्यवसाय की सही एवं उचित स्थिति प्रकट करना।
  • भावी क्रियाकलापों के लिए आधार प्रस्तुत करना
     
Trading Account (व्यापार खाता) क्या है?
एक निश्चित अवधि के अंतगर्त व्यापार से होने वाले सकल लाभ (Gross Profit) या सकल हानि (Gross Loss) की जानकारी प्राप्त करने के लिए व्यापारी जो खाता तैयार करता है, उसे व्यापार खाता या व्यापारिक खाता कहते हैं। तो इस तरह व्यापारिक खाते का आशय एक ऐसे खाते से है जिससे माल के क्रय-विक्रय के द्वारा सकल लाभ या हानि का ज्ञान होता है। व्यापारिक खाता को माल खाता भी कहा जा सकता है क्योंकि इसमें केवल माल संबंधी लेन-देनों का लेखा किया जाता है।
Gross Profit कैसे ज्ञात करे?
Gross Profit = Net Sales (शुद्ध विक्रय) - Cost of Goods Sold (जितना माल बैचा उसकी किमत)
Net Sales (शुद्ध विक्रय) = Cash Sales (नगद बिक्रि) + Credit Sales (उधार बिक्रि) - Sales Return (वापस आया माल)
निम्नलिखित सूचनाओं से सकल लाभ की गणना कीजिए :
Purchase
3,00,000
Sales
5,00,000
Sales Return
10.000


Wages
35,000
Carriage And Freight
5,000
Opening Stock
25,000
Closing Stock
35,000
Solution
Gross Profit = Net Sales - Cost of Goods Sold
Net Sales = Total Sales - Sales Return
Net Sales = 5,00,000 - 10,000 = 4,90,000
Cost of Goods Sold = Opening Stock + Purchase + Direct Expenses - Closing Stock
Cost of Goods Sold = 25,000 + 3,00,000 + (35,000 + 5,000) - 35,000 = 3,30,000
Gross Profit = 4,90,000 - 3,30,000 = Rs. 1,60,000

 Trading Account (व्यापार खाता) बनाने के नियम क्या है ?

Trading Account में Debit तरफ निम्नलिखित मदों को लिखा जाता है :-
1.     Opening Stock (प्रारंभिक रहतिया ) : वर्ष के शुरू में जो वस्तुएं बची होती है उसे Opening Stock कहा जाता है।
2.     Purchase (क्रय ) : व्यवसाय करने के लिए जो वस्तुएँ खरीदी जाती है उसे Purchase (क्रय) कहते हैं । Purchase में से Purchase Return को घटा लिया जाता है।
3.     Cost Of Purchase : वस्तु खरीद कर लाने मे जो खर्च होता है, उसे Cost Of Purchase कहा जाता है।
Cost Of Purchase में निम्नलिखित खर्चों को शामिल किया जा सकता है :
o    Coolie Charges (कुली खर्च)
o    Freight (भारा)
o    Carriage (भाड़ा या ढुलाई)
o    Octroi Duty (चुंगी कर )
o    Import Tax (आयत कर)
4.     Cost Of Production : वस्तु उत्पादन करने में जो खर्च होता है उसे Cost Of Production कहा जाता है।
Cost Of Production में निम्नलिखित खर्चों को शामिल किया जा सकता है :
o    Wages (मजदूरी)
o    Factory Rent (कारखाना का किराया )
o    Factory Lighting (कारखाना का रोशनी)
o    Factory Insurance (कारखाना का बीमा )
o    Fuel (ईंधन)
o    Power (शक्ति)
o    Coal (कोयला)
o    Gas ( गैस)
o    Water ( पानी)
o    Manufacturing (निर्माण व्यय)
o    Excise Duty (उत्पादन कर)
**********************************************
Trading Account में Credit तरफ निम्नलिखित मदों को लिखा जाता है :-
1.     Sales (विक्रय ) : जिस वस्तु की व्यवसाय की जाती है उसे बेचे जाने को Sales कहा है। Sales में से Sales Return को घटा लिया जाता है।
2.     Closing Stock (अंतिम रहतिया ) : वर्ष के अंत में जो वस्तुएँ बची होती है उसे Closing Stock कहा जाता है।
Notes :
Trading Account में Credit तरफ कम होने पर Loss होती है ओर Debit तरफ कम होने पर Profit होता है। लाभ को शकल लाभ (Gross Profit) तथा हानि को शकल हानि (Gross Loss) के नाम से जाना जाता है।

व्यापार खाते (Trading Account)का महत्व/लाभ निम्नलिखित हैं :
  • यह सकल लाभ या सकल हानि की सूचना प्रदान करता है।
  • व्यापर खाता शुद्ध क्रय तथा रहतिये की सूचना प्रदान करता है।
  • व्यापार खाते से क्रय तथा प्रत्यक्ष व्ययों के बीच संबंध का निर्धारण किया जा सकता हैं।
  • यह प्रत्यक्ष व्यय तथा सकल लाभ के अनुपात के निर्धारण में सहायता प्रदान करता है।
  • व्यापार खाते से बेचे गए माल की लागत की गणना की जा सकती हैं।
  • सकल लाभ का प्रतिशत व्यापार के काम-काज की सफलता के मूल्यांकन तथा तुलनात्मक अध्ययन में मदद करता हैं।

 

Preparing Trading A/c From 1/4/2006 to 31/03/2007
Particulars
Amount
Particulars
Amount
Opening Stock
2000
Sales
47000


Sales   -      47000   

Purchase
50000
(-) Sales Return  0

  Purchase                     52000



(-) Purchase Return      2000

Closing Stock
32000
(-) Goods for Drawing       0



(-) Goods loss by Fire        0







Direct Expenses
9700
Direct Income
450
Hammali Expense        6500

Discount Received-450

Entry Tax                        200



Electrical Expense        3000







Gross Profit C/d
17750



79450

79450

C/d means carried down (निचे ले गये)
b/d means Brought Down (निचे लाये)

Corel 12


Corel Draw में Layers के साथ कैसे कार्य करे?

1.लेयर क्‍या है (What is Layer) ?

कोरल ड्रा की ड्राइंग्‍स में अक्‍सर एक Object के उपर दुसरे Object का प्रयोग होता है। इन Objects को प्रभावशाली ढ़ग से प्रयोग करने के लिए पारदर्शी (Transparent) या अदृश्‍य (Invisible) पेन्‍स (Pens) का प्रयोग किया जाता है । इन पारदर्शी (Transparent) या अदृश्‍य (Invisible) पेन्‍स (Pens) को लेयर (layer) कहा जाता है। कोरल ड्रा में कठिन डिजाइन ड्रा करने के लिए हम विभिन्‍न Objects को अलग-अलग लेयरस में विभक्‍त कर सकते है। कोरल ड्रा में Default रुप से सभी Objects एक ही लेयर में स्थित होते है।
डॉक्‍युमेन्‍ट में‍ स्थित ऐसे Objects, जो सभी पेजो पर प्रभावी होते है, वे ग्‍लोबल लेयर (Global Layer) पर स्थित होते है। ग्‍लोबल लेयर को Master Layer भी कहा जाता है। Master Layer एक virtual page है जिसे Master Page भी कहा जाता है। 

नयी लेयर बनाना (Creating New Layer)

Tools Menu में जाकर Object Manager Option पर Click करने पर Object Manager डॉकर Window प्रदर्शित होने लगती है इस डॉकर Window में निचे कि ओर दो Option दिये गये है जिसमें एक New Layer एवं एक New Master Layer है दोनो पर Click करके हम New Layer एवं New Master Layer Create कर सकते है। जैसे ही हम New Layer या New Master Layer पर Click करते है हमे नयी लेयर या मास्‍टर लेयर का नाम देने हेतु Option उपलब्‍ध हो जाता है। 

लेयर को Active बनाना

कोरल ड्रा में लेयर को Active करने के लिए उस लेयर के नाम पर Click किया जाता है Active लेयर लाल रंग के बोल्‍ड Font में दिखने लगती है। Default रुप से Layer 1, Active होती है। 

लेयर को Delete करना
 
Object Manager डॉकर Window में दिख रहे लेयर के नाम के उपर Mouse द्वारा right click करने पर जो Option दिखाई देते है उनमे एक Delete, Option होता है जिसकी सहायता से लेयर को Delete कर सकते है। 

लेयर की Properties परिवर्तित करना
 
Corel Draw में किसी Layer Name पर Right Click करने पर उसकी 3 मुख्‍य Properties प्रदर्शित होती है जो कि Display, Editing (lock and Unlock) एवं Printing है। इनमें हम कभी भी परिवर्तन कर सकते है। 

लेयर को Show एवं Hide करना

Object Manager डॉकर Window में प्रदर्शित होने वाले लेयर नाम के आगे एक Eye जैसे दिखने वाला Eye Option होता है जिसपर Mouse से Left Click करने पर लेयर hide हो जाती है एवं पुन: Click करने पर लेयर Show होती है।

लेयर को lock एवं unlock करना

Object Manager डॉकर Window में प्रदर्शित होने वाले लेयर के नाम के आगे एक Pencil की आकृती वाले आयकान पर Click कर हम लेयर को lock एवं unlock कर सकते है इसके अलावा लेयर नेम पर Right Click करके Editing Option की सहायता से भी यह कार्य कर सकते है। 

Edit Across Layers  

Object Manager डॉकर Window में उपर की ओर दायीं ओर प्रदर्शित Option, Edit Across Layers पर Click करने पर हम केवल उसी लेयर में कार्य कर सकते है जिसपर हम स्थित है अर्थात हम अन्‍य लेयर पर कार्य नहीं कर पाएंगे पुन: उसी option पर Click करने पर हम सभी लेयरस पर कार्य कर सकते है। 

लेयर का नाम बदलना

लेयर Name के उपर Right Click करके हम Layer के नाम में परिवर्तन कर सकते है।

लेयर को Cut, Copy एवं Paste करना

किसी layer के अन्‍दर दिये गये Object Name  के उपर Right Click करने पर हमे Cut एवं Copy option दिखाई देते हे इन Options का प्रयोग करके हम object को Cut Copy एवं Paste कर सकते है।

  

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